
शीशमहल
कौन खोजता हैं दूसरों में
कमियाँ हीं कमियाँ ?
उसमें अपने आप को
ढूँढने वाले।
यह शीश महल
देखने जैसा है।
जिधर देखो अपना हीं
अक्स और परछाइयाँ
देख ख़ुश हो
लेते है ये लोग।

शीशमहल
कौन खोजता हैं दूसरों में
कमियाँ हीं कमियाँ ?
उसमें अपने आप को
ढूँढने वाले।
यह शीश महल
देखने जैसा है।
जिधर देखो अपना हीं
अक्स और परछाइयाँ
देख ख़ुश हो
लेते है ये लोग।