छोड़ कर ….

वफ़ा

मैं नादान था जो वफ़ा को
तलाश करता रहा “ग़ालिब” 
यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी
बेवफा हो जाएगी.

 

MIRZA GHALIB

अक्स सी सच्चाई

 

 

काश कुछ लोगों से जिन्दगी की होड़ में इतनी जफ़ा ना होती,

काश उनमे अक्स सी सच्चाई और परछांई सी वफ़ा भी होती |

 

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