लम्हों को गँवाते गँवाते
निकल गई उम्र-ए-रफ़्ता।
गर मिले फिर इत्तिफ़ाक़ से.
नज़्म बना जियेगें ज़िंदगी।
सही-गलत से दूर…मिलेंगे उस जगह….
जहाँ आत्मा, शरीर के लिबास में ना हो।
उम्र-ए-रफ़्ता – past life, गुज़री हुई उम्र
Out beyond ideas of wrongdoing and rightdoing there is a field. I’ll meet you there. When the soul lies down in that grass the world is too full to talk about. ❤ Rumi.
लम्हों को गँवाते गँवाते
निकल गई उम्र-ए-रफ़्ता।
गर मिले फिर इत्तिफ़ाक़ से.
नज़्म बना जियेगें ज़िंदगी।
सही-गलत से दूर…मिलेंगे उस जगह….
जहाँ आत्मा, शरीर के लिबास में ना हो।
उम्र-ए-रफ़्ता – past life, गुज़री हुई उम्र
बेचैन लहरें किनारे पर सर पटकती,
कह रहीं हैं – ये सफेद झाग, ये खूबसूरत बुलबुले
बस कुछ पल के लिये हैं।
जिंदगी की तरह……
बीत रहे वक्त अौ लम्हे को…..
जी लो जी भर के।