जिंदगी के पचास दिन बीत गये….कम हो गये।
बिना कुछ कहे-सुने, चुपके से एक शाम अौर ढल गई।
दिनों की गिनती शायद हीं कभी इतनी शिद्दत से की होगी।
यह भी एक यात्रा है।
मालूम नहीं कितनी लंबी।
कितने सबकों…पाठों के साथ।
ना शिकवा है ना गिला है।
पर यात्रा जारी है।
आशा भरे नये दिन, नई सुबह के इंतज़ार के साथ।
Image Courtesy- Chandni Sahay