
लेखक, कवि औ
कलाकार कल्पना और
ख़्वाबों की दुनिया से
मोतियाँ चुन
सजाते हैं अपनी रचायें।
यह ख़ज़ाना खुली आँखों
से नहीं दिखता।
दिल से हीं महसूस
किया जा सकता है,
ख़्वाबों की यह तिज़ारत।
मुनाफ़ा-नुक़सान में
उलझने वाले क्या जाने
दिल की ये ख़ूबसूरत बातें?

लेखक, कवि औ
कलाकार कल्पना और
ख़्वाबों की दुनिया से
मोतियाँ चुन
सजाते हैं अपनी रचायें।
यह ख़ज़ाना खुली आँखों
से नहीं दिखता।
दिल से हीं महसूस
किया जा सकता है,
ख़्वाबों की यह तिज़ारत।
मुनाफ़ा-नुक़सान में
उलझने वाले क्या जाने
दिल की ये ख़ूबसूरत बातें?
कलम थामे
लिखती उंगलियाँ आगे बढ़ती जातीं हैं।
तब एक जीवंत रचना उभरती हैं।
ये उंगलियाँ संदेश हैं –
जिंदगी आगे बढ़ते जाने का नाम है।
आधे पर रुक कर,
पंक्तियोँ…लाइनों को अधूरा छोङ कर,
लिखे अक्षरों को आँसूअों से धुँधला कर,
सृजनशीलता…रचनात्मकता का अस्तित्व संभव नहीं।
यही पंक्तियाँ… कहानियाँ… कविताएँ,
पन्नों पर उतर,
आगे बढ़नें की राहें बन जातीं हैं।