हमारी यात्रा -यूनियन बैंक शताब्दी वर्ष

यह कविता मेरी बेटी चाँदनी सहाय, अधिकारी, यूनियन बैंक की रचना है. उसे इसके लिए यूनियन बैंक , हिंदी कविता प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मिला है. जो मेरे लिये असीम गर्व की बात है।

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कर कमलों से उद्घाटतृित हो,

खङे हैं  अटल-अचल हम एक सदी से।

एकता, अपनापन अौर सेवा-भाव से।

देश अौर देशवासियों  की  ईकोनॉमी संम्भाले का दायित्व निभाते।

दृष्टिबधितों को ए टी एम  ,

सिक्किम नाथूलाल में सबसे ऊँचाई पर ए टी एम जैसी जिम्मेदारियाँ  निभा रहें हैं।

आज हम एक शताब्दी ….. 100 वीं वर्षगांठ मना रहें हैं!!

इस लंबी यात्रा में ना जाने कितनी उपलब्धियाँ हासिल की।

पूँजी बाजार में शामिल हुए, टेक्नो-सेवी बैंक होने की ख्याति पाई,

युमोबाइल, टेब्यूलस बैंकिंग, यूनियन सेल्फी,

आधुनिक बैंकिंग विचारधारा वाला एक अग्रणी बैंक बन,

डिमोनीटाईजेशन के समय रात दिन एक कर  सम्मान अर्जित किया।

पहले-पहल हिंदी में वार्षिक रिपोर्ट बनाईं,

ऐसे ना जाने, कितनी मोतियाँ हैं हमारे उपल्बधियों की माला में।

अखंडता, शक्ति और साझेदारी का प्रतिनिधित्व करती हुई,

हमारे यूनियन बैंक इंटरलॉक प्रतीक की तरह।

आज हम सेंटेनरी…… 100 वीं सालगिरह मना रहें हैं!!!!

सबों को बधाई अौर आभार!

राष्ट्र सेवा कर राष्ट्रपति पुरस्कार पाया।

यह प्यार, यह सम्मान  बना रहे …..

अच्छे लोग अच्छा बैंक,

“बैंक के साथ अच्छे लोग” की भावना बनी रहे…….

कामना है  सभी स्वस्थ रहें, सुखी रहें –

“सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः।”

Image courtesy- Chandni Sahay.