मुट्ठी में दबे,
मसले – कुचले गुलाबों
की खुशबू फ़िजा में तैर गई।
हथेलियाँ इत्रे गुलाब अर्क
से भर गईं
क्या हम ऐसे बन सकते हैं?
मर्म पर लगी चोट
पीङा नहीं सुगंध दे ???
मुट्ठी में दबे,
मसले – कुचले गुलाबों
की खुशबू फ़िजा में तैर गई।
हथेलियाँ इत्रे गुलाब अर्क
से भर गईं
क्या हम ऐसे बन सकते हैं?
मर्म पर लगी चोट
पीङा नहीं सुगंध दे ???