मेरी पाँच कविताएँ / My 5 Poems Published in She The Shakti, Anthology– POEM 5
नवरात्रि की अष्टमी तिथि ,
प्रौढ़ होते, धनवान दम्पति ,
अपनी दरिद्र काम वालियों
की पुत्रियों के चरण
अपने कर कमलों से
प्यार से प्रक्षालन कर रहे थे.
अचरज से कोई पूछ बैठा ,
यह क्या कर रहें हैं आप दोनों ?
अश्रुपूर्ण नत नयनों से कहा –
“काश, हमारी भी प्यारी संतान होती.”
सब कुछ है हमारे पास ,
बस एक यही कमी है ,
एक ठंडी आह के साथ कहा –
प्रायश्चित कर रहें है ,
आती हुई लक्ष्मी को
गर्भ से ही वापस लौटाने का.
Source: कन्या पूजन ( कविता )
Image – Sundarban temple,
by Rekha Sahay.



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