चमगादड़ और चीन- आओ थोड़ा हँस लें !

शाम के धुँधलके में एक बड़ा चमगादड़,

अपने विशाल पंख फैलाए,

इतराता, उड़ता हुआ ऐसे गुज़रा,

जैसे रातों का राजा हो …..

कहा हमने – बच्चू यहाँ हो इसलिए इतरा रहे हो,

चीन में होते तो सूप के प्याले में मिलते …….

पास के पेड़ पर उलटा लटक कर वह हँसा और बोला-

हम भी कुछ कम तो नहीं.

एक झटके में सारी दुनिया  उलट-पलट दी.

अब चमगादड़ का सूप पीनेवालों को

अपनी छोटी-छोटी पैनी आँखों से चिकेन भी चमगादड़ दिखेगा.

 

 

आवाज़ हीं पहचान है !!

कहते तो हैंआवाज़ हीं पहचान है !!

पर क्या मिला  है कोई ?

 जो  आवाज  से आपकीखुशी या गम जान लें 

अगर  मिलें तो दिल केरीबरखना इन्हें,

बङे खास  होते हैं  ये लोग।

जीवन के रंग – 42

हम सभी के पास

अपनी -अपनी कहानियाँ हैं…..

हम सब किसी ना किसी दौर से गुजरें हैं।

प्यार, नफरत, पसंद, नापसंद,

पछतावा दर्द , दुःख,  खुशी……

जो शायद दूसरे ना समझें।

यह सब तो जीवन के रंग हैं।

जो हमें तोङने के लिये नहीं

जोङने के लिये होते हैं।

फिजा में बिखरी खुशबू


फिज़ा
में बिखरी खुशबू खिसकती सरकती 
ना जाने कब 

पास पहुँच कर 

गले में बाँहें डाल 

अतीत की ओर खीँच  ले गई .

किसी के यादों के साये और गुलाबों के बीच ले गई .