जिंदगी में हर रिश्ते एक दूसरे से
मुकाबला,आज़माइशें या
बराबरी करने के लिये नहीं होते हैं।
कुछ रिश्ते एक- दूसरे के हौसले इज़ाफ़ा करने अौर
कमियों को पूरा करने के लिये भी होते हैं।।
तभी ये रिश्तों को दरख्तों के जड़ों की तरह थामे रखते हैं।
जिंदगी में हर रिश्ते एक दूसरे से
मुकाबला,आज़माइशें या
बराबरी करने के लिये नहीं होते हैं।
कुछ रिश्ते एक- दूसरे के हौसले इज़ाफ़ा करने अौर
कमियों को पूरा करने के लिये भी होते हैं।।
तभी ये रिश्तों को दरख्तों के जड़ों की तरह थामे रखते हैं।
दरख्तों से ताल्लुक का हुनर सीख ले इंसान,
जड़ों में ज़ख्म लगते हैं, और सूख टहनियाँ जाती हैं.
Anonymous
शीतल हवा का झोंका बहता चला गया।
पेङो फूलों को सहलाता सभी को गले लगाता ……
हँस कर जंगल के फूलों ने कहा –
वाह !! क्या आजाद….खुशमिजाज….. जिंदगी है तुम्हारी।
पवन ने मुस्कुरा कर कहा –
क्या कभी हमें दरख्तों-ङालों, खिङकियों-दरवाज़ों पर सर पटकते….
गुस्से मे तुफान बनते नहीं देता है?
हम सब एक सा जीवन जीते हैं।
गुस्सा- गुबार, हँसना-रोना , सुख-दुख,आशा-निराशा
यह सब तो हम सब के
रोज़ के जीवन का हिस्सा है!!!