तारों भरी रात

तारों की कहकशाँ से सजी रात है,

आकाश में छिटके चाँद-तारे, शरद पूर्णिमा की रात।

धरा पर राधा -कान्हा करते महारास,

वृंदावन की अद्भुत धूम में महारासलीला की रात।

आध्यात्म और प्रेमोत्सव की निराली रात।

सोलह कलाओं से पूर्ण चंद्रमा की,

बिखरी चाँदनी में गोपियाँ नाचती रही,

बरसात रहा अमृत सारी-सारी रात।

रक़्स…नृत्य में डूबी तारों भरी रात है।

(अश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा / शरद पूर्णिमा, रविवार, 09 अक्टूबर 2022 )

शाम की दहलीज़ पे !!

हमेशा की तरह,

आज भी शाम की दहलीज़ पे,

आफ़ताब आसमान में सिंदूर फैलाए

इंतज़ार करता रहा चाँद का और तारों की बारात का.

क्या वह जानता नहीं

उसके तक़दीर में इंतज़ार और ढलना लिखा है?