अपनी ज़िंदगी कब जियोगे?

लोग क्या कहेंगे?

अगर सुन रहे हो लोगों की।

तब जी रहे हो उनकी ज़िंदगी,

उनकी बातें,

उनकी ख्वाहिशें।

अपनी ज़िंदगी कब जियोगे?