फूलों की पंखुड़ियाँ!!

फूलों की पंखुड़ियाँ!!!

अगर टूटने की चाहत नहीं,

तब किसी से

इतना जुटना नहीं कि

रिश्ते खंडित होते

स्वयं भी खंडित हो जाओ …..

झड़ते फूल की पंखुड़ियों

सा बिखर जाओ।

7 thoughts on “फूलों की पंखुड़ियाँ!!

  1. बीते दिनों
    शरद ऋतु के पत्तों की तरह ट्रंक से गिर
    अपने प्रकाश पर पकड़
    तूफान में
    हर रात एक सपने में

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