फूलों की पंखुड़ियाँ!!!
अगर टूटने की चाहत नहीं,
तब किसी से
इतना जुटना नहीं कि
रिश्ते खंडित होते
स्वयं भी खंडित हो जाओ …..
झड़ते फूल की पंखुड़ियों
सा बिखर जाओ।
फूलों की पंखुड़ियाँ!!!
अगर टूटने की चाहत नहीं,
तब किसी से
इतना जुटना नहीं कि
रिश्ते खंडित होते
स्वयं भी खंडित हो जाओ …..
झड़ते फूल की पंखुड़ियों
सा बिखर जाओ।