ज़िंदगी बङी सख़्त और ईमानदार गुरु है.
अलग-अलग तरीक़े से पाठ पढ़ा कर इम्तिहान लेती है…..
और तब तक लेती है,
जब तक सबक़ सीख ना जाओ.
अभी का परीक्षा कुछ नया है.
रिक्त राहें हैं, पर चलना नहीं हैं.
अपने हैं लेकिन मिलना नहीं है.
पास- पड़ोस से घुलना मिलना नहीं है.
इस बार,
अगर सीखने में ग़लती की तब ज़िंदगी पहले की तरह पाठ दुहराएगी नहीं …
और फिर किसी सबक़ को सीखने की ज़रूरत नहीं रह जाएगी.
कोरोना के टेस्ट में फ़ेल होना हीं पास होना है.
पर किसी के पास-पास नहीं होना है.

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