नीलकंठ

पुरानी राहों पर निगाहें दौड़ने पर

खोए हुए लाल गुलाब की पंखुड़ियाँ

यहाँ वहाँ सूखी बिखरीं दिखीं.

उम्रदराज़ यादों को संजोना

क्या नीलकंठ बना देगा ?

या कलेजा जला देगा ?

नीलकंठ –

समुद्र मंथन से अमृत के साथ कालकूट नामक भयंकर विष भी निकला। उस विष की अग्नि से दसों दिशाएं, देवता, दैत्य, ऋषि, मुनि, मनुष्य, गंधर्व और यक्ष आदी जलने लगे.
तब उस विष को शिवजी के कंठ (गले) में ही रोक कर उसका प्रभाव समाप्त कर दिया। विष के कारण भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया और वे संसार में नीलंकठ के नाम से प्रसिद्ध हुए।

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