ज़िन्दगी के रंग -142

जब मालूम हैं

संसार में जो कुछ भी मिला है ,

यहीं, पीछे रह जाएगा.

फिर क्यों इतना अहंकार ?

इतना पाने खोने की हैं दौड़ ?

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