I glanced
At the shards of glass
So alike me!
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I glanced
At the shards of glass
So alike me!
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देखे है पर्वतों और खाइयों से लोग.
दोनों अपने आप में अलग हैं.
मदद करते औरों को ऊपर उठाते ..
एक अच्छाइयों की ऊँचाइयों पर ,
और कुछ लोग होते है खाइयों से .
बस किसी ना किसी को बिन बात
बिना कारण गिराने की कोशिश में.
सही भी तो है – जिसके पास जो है
वही तो दूसरों को दे सकते है.
ऐसे भी तो होते है कुछ लोग
सागर जैसे गहरे औ शीतल शांत.
ना जाने क्यों कुछ लगते हैं रेगिस्तान के
तपते जलाते शुष्क रूखे गर्म रेत से .
लोग वही लौटाते हैं जो उनके पास है .
