ना जाने किन-किन बातों पे रोना आया,
इतना तो याद है …..
हँसने की कोशिश पे रोना आया।
किनारे पहुच कर अपने
को डूबते देख, रोना आया।

ना जाने किन-किन बातों पे रोना आया,
इतना तो याद है …..
हँसने की कोशिश पे रोना आया।
किनारे पहुच कर अपने
को डूबते देख, रोना आया।

खोखले शब्दों में बुने मायाजाल की माया
और खोखलापन ज्यादा दिन नहीं टिकते।
