महज 2 साल की उम्र में मां का आंचल छूट गया. 5 वर्ष की आयु में पिता का साया भी उठ गया. और सिर्फ 19 वर्ष की उम्र में उसका जीवनसाथी भी उसे छोड़कर इस दुनिया से चला गया. वो पैदा हुई थी दीपा देवी के तौर पर. हालात ने उसे इच्छागिरी माई बना दिया. लेकिन उसके साहस ने उसे ‘टिंचरी माई’ नाम दिया. और आज भी उत्तराखंड में वह इस नाम से जानी जाती हैं. याद की जाती हैं.
पति चला गया, तो सबने ठुकरायाः
पौड़ी के थलीसैंण ब्लॉक में मंज्यूर की टिंचरी माई को पहाड़ में शराब के खिलाफ अभियान चलाए जाने के लिए जाना जाता है. इस निर्भीक औरत ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भी अपनी मांग मनवाने के लिए मजबूर किया था. महज सात साल की उम्र में माई का विवाह गवांणी गांव के गणेश राम से हुआ. शादी के तुरंत बाद वह पति के…
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hers is a very encouraging and inspirational story.
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I loved this one too. Thank you 😊 Atul.
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