रात के अँधेरे में नशा होता है.
शायद चाँद की चाँदनी
हवा में मादकता घोल देती है .
जिसकी ख़ुमारी सवेरे सूरज की
रौशनी से उतरता है .
लेकिन …,.लेकिन ….
फिर नींद क्यों नहीं आती…
? ? ?

रात के अँधेरे में नशा होता है.
शायद चाँद की चाँदनी
हवा में मादकता घोल देती है .
जिसकी ख़ुमारी सवेरे सूरज की
रौशनी से उतरता है .
लेकिन …,.लेकिन ….
फिर नींद क्यों नहीं आती…
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