आस

आस्था और आस वह रोशनी हैं.

जो आज भी जहाँ रौशन रखती हैं.

7 thoughts on “आस

  1. उम्मीद पर ही तो दुनिया कायम है रेखा जी वरना इंसान जिये कैसे ? ग़ुलाम अली साहब की मशहूर ग़ज़ल – ‘दिल में एक लहर-सी उठी है अभी’ का अंतिम शेर है –
    वक़्त अच्छा भी आएगा नासिर,
    ग़म न कर ज़िंदगी पड़ी है अभी

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    1. जी , अपने हौसले को बनाए रखने के लिए यह सब लिखती रहती हूँ .
      लोग समझते हैं , लिखना शग़ल है . पर सच यह है कि शग़ल के साथ साथ therapy भी है . आज की दुनिया इसे भले morning therapy/ writing therapy या जो चाहे कहे.
      बड़ी प्रेरक और सुंदर पंक्तियाँ है .

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      1. आप सही करती हैं रेखा जी । हम जैसे लोगों के लिए अपना हौसला बनाए रखने के लिए ऐसा कुछ करते रहना बहुत ज़रूरी है ।

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    2. मैंने ‘प्यार के राही’ सिनेमा देखा . कवलजीत के अलावा पात्र काम हीं जाने पहचाने थे. पर मूवी मुझे अच्छी लगी .

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    1. सस्पेन्स वाली कहानियाँ मुझे अच्छी लगती है .
      मैंने YouTube पर सुस्मिता सेन की एक suspense film ‘समय’ हाल में देखी. किसी English movie से inspired है , पर उसका अंत मुझे पसंद नहीं आया.

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