ज़िंदगी के रंग – 135

कहते हैं युद्ध के दौरान नहीं

युद्ध के बाद तनाव होता है .

शायद संकट गुज़रने के बाद

पीड़ा का पहाड़ कुछ

देर उठने नहीं देता.

अनुभव कहता है जंग-ए-ज़िंदगी

में भी ऐसा हीं होता है !!!

5 thoughts on “ज़िंदगी के रंग – 135

    1. Jindagi hi asali जंग hai kyo ki जंग के मैदान में तो जाने वाले वीर काम हीं होते है . लेकिन ज़िंदगी की जंग तो हर किसी को हर दिन किसी ना किसी रूप में लड़नी पड़ती है.

      Like

Leave a reply to Madhusudan Cancel reply