नीचे एक सरल चित्र है, लेकिन बहुत ही गहरे अर्थ के साथ।
आदमी को पता नहीं है कि नीचे सांप है और महिला को नहीं पता है कि आदमी भी किसी पत्थर से दबा हुआ है।
महिला सोचती है: “मैं गिरने वाली हूँ! और मैं नहीं चढ़ सकती क्योंकि साँप मुझे काटने वाला है।”
आदमी थोड़ा अधिक ताक़त का उपयोग करके मुझे ऊपर क्यों नहीं खींच सकता है! ”
आदमी सोचता है: “मैं बहुत दर्द में हूँ! फिर भी मैं अभी भी आपको उतना ही खींच रहा हूँ जितना मैं कर सकते हूँ!सामने वाला खुद कोशिश क्यों नहीं करता और थोड़ा कठिन चढ़ाई को पार कर लेता?”

नैतिकता: आप उस दबाव को देख नहीं सकते जो सामने वाला झेल रहा है, और ठीक उसी तरह सामने वाला भी उस दर्द को नहीं देख सकता जिसमें आप हैं।
यह जीवन है, भले ही यह काम, परिवार, भावनाओं, दोस्तों, परिवार के साथ हो, आपको एक-दूसरे को समझने की कोशिश करनी चाहिए, अलग-अलग सोचना, एक-दूसरे के बारे में सोचना और बेहतर तालमेल बिठाना चाहिए।
हर कोई अपने जीवन में अपनी लड़ाई लड़ रहा है और सबके अपने अपने दुख हैं इसीलिए कम से कम हम जब सभी अपनों से मिलते हैं तब एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने के बजाय एक दूसरे को प्यार, स्नेह और साथ रहने की खुशी का एहसास दें, जीवन की इस यात्रा को लड़ने की बजाय प्यार और भरोसे से आसानी से पार किया जा सकता है।
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ekdum sahi baat hai.
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Shukriya Priyanka
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😊
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🙂
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बहुत ही अच्छा संदेश दिया है रेखा जी आपने । काश सभी लोग ऐसा ही दृष्टिकोण अपना कर उसके अनुकूल अपने विचारों, संबंधों एवं आचरण को ढाल सकें !
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शुक्रिया जितेन्द्र जी .
आपकी बात तो बिलकुल उचित है .
इस दुनिया में अच्छे विचारों और संदेशों की कमी नहीं है . कमी है उस पर अमल करने वालों की .
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Very meaning full
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thank you so much.
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Bahut gehri baat…👌👍
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आभार, जिंदगी की गहरायों ने बताया ।
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Waah….kya khubsurat tasweer aur uddharan se satya ko darshaya hai…..bahut khub.
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यह मुझे भी बिलकुल सही लगा , इसलिए share कर दिया.
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बहुत ही खूबसूरत पिक्चर और अच्छा सन्देश।👌👌
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धन्यवाद मधुसूदन.
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