
बहते झरने का पीछा किया .
नीलाभ की में डूब
कभी ऊपर कभी नीचे बलखाती
चट्टानों से गिरती , टकराती , बहती
कहीं भंवर , कहीं छिछली ,कहीं गहरी ,
अंत में जा गिरी नदी अौर फिर सागर में …….
लगा यह तो जिंदगी बह रही है
जीवन यात्रा के रुप में।


बहते झरने का पीछा किया .
नीलाभ की में डूब
कभी ऊपर कभी नीचे बलखाती
चट्टानों से गिरती , टकराती , बहती
कहीं भंवर , कहीं छिछली ,कहीं गहरी ,
अंत में जा गिरी नदी अौर फिर सागर में …….
लगा यह तो जिंदगी बह रही है
जीवन यात्रा के रुप में।

बहुत सुन्दर
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धन्यवाद
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🙏🙏
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आपसे काफी वार्ता हुई धन्यवाद 🙏
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आभार !!!!
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क्या जान सकता हूँ आप कहाँ से हैं ?? यदि आपको आपत्ति न हो …
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मैं पुणे में रहती हूँ।
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जी
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🙏🙏
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वाह…अति सुंदर!
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शुक्रिया.
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Very nice…
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Thank you
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यह ज़िन्दगी का फलसफा है परन्तु कितने ऐसे जीवन जीते हैं।
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ज़िंदगी ख़ुद हीं ऐसे उतार चढ़ाव दिखाती रहती है .
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इसका अर्थ यह नही कि हम हार मान लें। एक बार आए है जीवन मे तो पहचान बनाकर ही जाएगें।
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बिलकुल सही. ये उतार चढ़ाव तो जीना सिखाती है और मज़बूत बनाती है .
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यह जीना उतार चढ़ाव से कम है क्या?
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bilkul. Beautiful line. thank you
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अब बह जाना है बस
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पर ज़िन्दगी थमती नही। अपनी मंजिल तक पहुंच कर ही रहती है।
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अगर थम गई तो ज़िंदगी कैसी ? ज़िंदगी का थमना और मंज़िल तो एक हीं हैं.
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मै नही समझा।
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jindgi ka thamna to jivan ka ant/ maut hoga.
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*चाय के गुण*
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Interesting post hai.
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धन्यवाद
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Wow…… Bhauthi achi poem hai……👌👌
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Shukriya Pravya
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