बहते झरने का पीछा

बहते झरने का पीछा किया .

नीलाभ की में डूब

कभी ऊपर कभी नीचे बलखाती

चट्टानों से गिरती , टकराती , बहती

कहीं भंवर , कहीं छिछली ,कहीं गहरी ,

अंत में जा गिरी नदी अौर फिर सागर में …….

लगा यह तो जिंदगी बह रही है

जीवन यात्रा के रुप में।

29 thoughts on “बहते झरने का पीछा

      1. बिलकुल सही. ये उतार चढ़ाव तो जीना सिखाती है और मज़बूत बनाती है .

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