गुलज़ार दुनिया

दुनिया गुलज़ार थी .

चारों ओर बहार हीं बहार थी ,

पता हीं नहीं चला

कब पतझड़ आ गया ,

आसमान को तकते हैं

इस इंतज़ार में …….

वसंत आ जाए , बहारे ले कर ,

मुस्कुराते फूलों को ले कर .

11 thoughts on “गुलज़ार दुनिया

    1. बहुत ख़ूब !!!!
      पर वे फूल भी बड़े याद आतें हैं.
      जो समय से पहले मुरझा गए ,
      गए हुए फूल कभी वापस नहीं आएँगे .

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      1. यही प्रकृति का नियम है
        फूलों के बीज जो झड जाते हैं
        वही नए फूलों को जन्म देते हैं।
        हम उन्हे ही गले लगा लेते हैं
        और पुरानी याद भुला देते हैं।

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      2. बात तो सही है ,
        पर कभी कभी पुरानी याद ….,,
        किसी को भूलना मुश्किल होता है.

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      3. बात १००% सच है। पर दिल है कि मानता नहीं। आपके कवितामय जवाब के लिये तहे-दिल से शुक्रिया।

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