दुनिया गुलज़ार थी .
चारों ओर बहार हीं बहार थी ,
पता हीं नहीं चला
कब पतझड़ आ गया ,
आसमान को तकते हैं
इस इंतज़ार में …….
वसंत आ जाए , बहारे ले कर ,
मुस्कुराते फूलों को ले कर .

दुनिया गुलज़ार थी .
चारों ओर बहार हीं बहार थी ,
पता हीं नहीं चला
कब पतझड़ आ गया ,
आसमान को तकते हैं
इस इंतज़ार में …….
वसंत आ जाए , बहारे ले कर ,
मुस्कुराते फूलों को ले कर .

Beautiful poem
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Thank you 😊
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मुरझाए फूलों ने कहा अलविदा
फिर मिलेंगें बसन्त मे
इन्तजार का अपना मजा होता है।
मिलना तो दो घड़ी का होता है।
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बहुत ख़ूब !!!!
पर वे फूल भी बड़े याद आतें हैं.
जो समय से पहले मुरझा गए ,
गए हुए फूल कभी वापस नहीं आएँगे .
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यही प्रकृति का नियम है
फूलों के बीज जो झड जाते हैं
वही नए फूलों को जन्म देते हैं।
हम उन्हे ही गले लगा लेते हैं
और पुरानी याद भुला देते हैं।
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बात तो सही है ,
पर कभी कभी पुरानी याद ….,,
किसी को भूलना मुश्किल होता है.
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यादें कांटों की तरह हैं
दामन से उलझ जाते हैं।
जिन्दगी रुकने का नाम नही
हम दामन छुड़ा आगे बढ जाते हैं।
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बात १००% सच है। पर दिल है कि मानता नहीं। आपके कवितामय जवाब के लिये तहे-दिल से शुक्रिया।
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We generally realise happiness when its gone that we were actually happy
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yes, its true.
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Kabhi baat kar liya karo khudsehi…
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