यादें

चाहो या ना

चाहो ये यादें

साये की तरह

लिपटी रहती है .

बग़ैर इजाज़त तुम्हें

याद करने की गुस्तखियों के

लिए तहे दिल माफ़ी की गुज़ारिश है.

 

 

 

 

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