चाहो या ना
चाहो ये यादें
साये की तरह
लिपटी रहती है .
बग़ैर इजाज़त तुम्हें
याद करने की गुस्तखियों के
लिए तहे दिल माफ़ी की गुज़ारिश है.
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चाहो या ना
चाहो ये यादें
साये की तरह
लिपटी रहती है .
बग़ैर इजाज़त तुम्हें
याद करने की गुस्तखियों के
लिए तहे दिल माफ़ी की गुज़ारिश है.
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❤ beautiful
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thank you 🙂
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हमे तो यादों से शिकायत है।
कम्बख्त उन्हे भूलने नही देते
कांटों से चिपके रहते हर वक्त
फूलों से मिलने नही देते।
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वाह !!! बहुत ख़ूब …..
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