अपनेपन का अहसास

यूं तो जिंदगी में आवाज देने वाले,

ढेरों मिल जायेंगे …….

लेकिन बैठिए वहीं,जहां

अपनेपन का अहसास हो…..

Unknown

9 thoughts on “अपनेपन का अहसास

  1. बिलकुल खरी बात कही है रेखा जी आपने । इसी बात को सैंकड़ों साल पहले गोस्वामी तुलसीदास दूसरे शब्दों में कुछ यूँ कह गये हैं : आवत हिय हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह। तुलसी तहाँ न जाइये, कंचन बरसे मेह।।

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    1. आपकी बातें और उदाहरण अक्सर यह एहसास दिलाती है कि हमारे ज्ञानी जनों ने बड़ी मूल्यवान बातें कही है .
      हम प्रयास कर भी कुछ हीं अंशो में उन्हें कह पाते है . बहुत धन्यवाद .

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