स्पर्श

बिना स्पर्श क्यारिश्ते बनते नहीं ?क्या हर रिश्ते कानाम ज़रूरी है ?क्या कहते है इसे ?जो मीरा ने किया श्याम से ? 

2 thoughts on “स्पर्श

  1. इक राधा, इक मीरा, दोनों ने श्याम को चाहा । प्रेम दोनों का ही सच्चा था और प्रेम वही है जो सच्चा हो, निर्मल हो, शुद्ध हो । उसके लिए न स्पर्श आवश्यक है, न ही कोई नाम । हमने देखी है इन आँखों की महकती ख़ुशबू, हाथ से छू के इन्हें रिश्तों का इल्ज़ाम न दो; सिर्फ़ एहसास है ये, रूह से महसूस करो, प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो । है न ?

    Liked by 1 person

    1. वाह ! आपने ख़ामोशी फ़िल्म के मेरे प्रिय गीत की चर्चा कर दिल ख़ुश कर दिया . मैं आपकी बातों से बिलकुल सहमत कर दिया . बहुत आभार !

      Liked by 1 person

Leave a comment