इक राधा, इक मीरा, दोनों ने श्याम को चाहा । प्रेम दोनों का ही सच्चा था और प्रेम वही है जो सच्चा हो, निर्मल हो, शुद्ध हो । उसके लिए न स्पर्श आवश्यक है, न ही कोई नाम । हमने देखी है इन आँखों की महकती ख़ुशबू, हाथ से छू के इन्हें रिश्तों का इल्ज़ाम न दो; सिर्फ़ एहसास है ये, रूह से महसूस करो, प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो । है न ?
इक राधा, इक मीरा, दोनों ने श्याम को चाहा । प्रेम दोनों का ही सच्चा था और प्रेम वही है जो सच्चा हो, निर्मल हो, शुद्ध हो । उसके लिए न स्पर्श आवश्यक है, न ही कोई नाम । हमने देखी है इन आँखों की महकती ख़ुशबू, हाथ से छू के इन्हें रिश्तों का इल्ज़ाम न दो; सिर्फ़ एहसास है ये, रूह से महसूस करो, प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो । है न ?
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वाह ! आपने ख़ामोशी फ़िल्म के मेरे प्रिय गीत की चर्चा कर दिल ख़ुश कर दिया . मैं आपकी बातों से बिलकुल सहमत कर दिया . बहुत आभार !
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