कभी कभी ज़िंदगी
से थकान होने लगती है .
चाहो कुछ
होता कुछ और है
.ना जाने किस मुक़ाम पर
क्या रंग दिखाएगी ?
कब हँसाएगी कब रुलाएगी ?
कभी कभी ज़िंदगी
से थकान होने लगती है .
चाहो कुछ
होता कुछ और है
.ना जाने किस मुक़ाम पर
क्या रंग दिखाएगी ?
कब हँसाएगी कब रुलाएगी ?
सुन्दर प्रस्तुति ! जीवन में प्रायः थकान एकरसता के कारण आती है , ऐसा मेरा मानना है | इसलिए :
ये बहुत अच्छा है
जिंदगी बताती नहीं
कि उसका इरादा क्या है
वर्ना फीका सा हो जाता
ज़िन्दगी का सफर
बेरंग सुनसान सी लगती
जीवन की डगर !
ऊँची नीची रेखाएँ दर्शाती
जीवन है कायम, है गतिमान
सीधी सपाट रेखा बताती
बस, आगया इहिकाल |
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धन्यवाद !
बहुत सुंदर रचना .
मेरे विचार से थकान , जीवन पथ पर कुछ मौक़ापरस्त और स्वार्थी लोगों के व्यवहार से भी आती है .
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