एक दिन रास्ते में मिली वह,
पीछे से काँधे पर हाथ रख कर बोली –
इतनी जल्दी में क्यों हो ?
दो घड़ी बैठ कर सुस्ता लो .
हमने पूछा – कौन हो तुम ?
जवाब मिला – पहचाना नहीं ?
तुम्हें सपने से जगाने ……
तुम्हें तुम से मिलाने आई हूँ.
तुम्हारी हीं ज़िंदगी हूँ ……

एक दिन रास्ते में मिली वह,
पीछे से काँधे पर हाथ रख कर बोली –
इतनी जल्दी में क्यों हो ?
दो घड़ी बैठ कर सुस्ता लो .
हमने पूछा – कौन हो तुम ?
जवाब मिला – पहचाना नहीं ?
तुम्हें सपने से जगाने ……
तुम्हें तुम से मिलाने आई हूँ.
तुम्हारी हीं ज़िंदगी हूँ ……
