अजनबी सी है ये जिंदगी,
और वक्त की तेज़ है रफ्तार.
रात इकाई,
नींद दहाई
ख्वाब सैंकडा,
दर्द हजार
फिर भी है जिँदगी मजेदार.

Unknown
अजनबी सी है ये जिंदगी,
और वक्त की तेज़ है रफ्तार.
रात इकाई,
नींद दहाई
ख्वाब सैंकडा,
दर्द हजार
फिर भी है जिँदगी मजेदार.

Unknown
वाह।क्या खूब लिखा है।तभी तो हर दर्द को सहकर जी लेते हैं।
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धन्यवाद मधुसूदन.
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Thank you 😊
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Beautiful poem
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Thank you 😊
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