धूप सेंकते मोटे अजगर सी
बल खाती ये काली अनंत
अंतहीन सड़कें
लगतीं है ज़िंदगी सी ……
ना जाने किस मोड़ पर
कौन सी ख़्वाहिश
मिल जाए .
कभी ज़िंदगी को ख़ुशनुमा बनाए
और कभी उन्हें पूरा करने का
अरमान बोझ बढ़ाए .
धूप सेंकते मोटे अजगर सी
बल खाती ये काली अनंत
अंतहीन सड़कें
लगतीं है ज़िंदगी सी ……
ना जाने किस मोड़ पर
कौन सी ख़्वाहिश
मिल जाए .
कभी ज़िंदगी को ख़ुशनुमा बनाए
और कभी उन्हें पूरा करने का
अरमान बोझ बढ़ाए .
Be a writer of your life
And reader of your mind.
The more you
know yourself,
The less you need
Approval of others

Unknown
Let yourself
become living
poetry.

Rumi