युद्ध और प्रेम

युद्ध में हम

मिटाकर जीतते हैं

और प्रेम में हम

मिट कर जीतते हैं.

Unknown

10 thoughts on “युद्ध और प्रेम

  1. बिलकुल सटीक बात है यह रेखा जी । कोई संदेह नहीं इसमें । जगजीत सिंह जी की मशहूर ग़ज़ल याद आ गई मुझे : ‘या तो मिट जाइए या मिटा दीजिए; कीजिए जब भी सौदा, खरा कीजिए’ ।

    Liked by 1 person

Leave a reply to manishkhare178760 Cancel reply