वर्तमान

भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है इसका भय अौर चिन्ता,

भूत काल की यादें, दुख ….अफसोस ….पछतावा

क्या कुछ बदल सकता है ?

फिर क्यों नहीं चैन से साँस लिया जाय

अौर वर्तमान में …..

जिया जाये ? ?

6 thoughts on “वर्तमान

  1. बिलकुल सही कहा आपने…….
    एक बार हमारे भी ब्लौग पे नज़र डाले अगर पसंद आए तो हमें फौलो करें।

    चिंता से चतुराई घटे,
    घटे रूप और ज्ञान,
    चिंता बड़ी अभागिनी,
    चिंता चिता समान
    मेरो चिंतयों होत नहीं,
    हरि को चिंतयों होय,
    हरि चिंतयों हरि करे
    मैं रहुं निश्चित

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    1. धन्यवाद. आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है. मेरे ब्लॉग में कुछ प्रॉब्लम है . मैं किसी को follow नहीं कर पा रही हूँ पर आपके पोस्ट पढ़ती रहती हूँ .

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