जुम्बिश-ए-नज़र

ओंठों को जुंबिश दे

कुछ बोलने की कोशिश में

उसकी बङी-बङी  आँखें पहले हीं हँस पङीं।

जुम्बिश-ए-नज़र ने शायद

बिना लब खोले

बिना कुछ बोले,

अपनी  हर बात कह दी थी।

सुननेवाला समझ  गया।

…………पता चला वह तो मूक है।

कुछ बोल हीं नहीं सकती।

शायद इसलिये नज़रों से बातें करतं थी।

 

 

 

 

 

 

 

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