ऐ उम्र !
कुछ कहा मैंने,
पर शायद तूने सुना नहीँ..!
तू छीन सकती है बचपन मेरा,
पर बचपना नहीं..!!
हर बात का कोई जवाब नही होता…,
हर इश्क का नाम खराब नही होता…!
यूं तो झूम लेते है नशे में पीनेवाले….,मगर हर नशे का नाम शराब नही होता…!
खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है….!
हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है….!
जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,*
असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है….!
किसी ने खुदा से दुआ मांगी.!
दुआ में अपनी मौत मांगी,
खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दु मगर…!
उसे क्या कहु जिसने तेरी जिंदगी मांगी…!
हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता….!
हर एक इन्सान बुरा नही होता.
बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से….!
हर बारकुसुर हवा का नही होता.. !!

–गुलजार
ऐ उम्र !
कुछ कहा मैंने,
पर शायद तूने सुना नहीँ..!
तू छीन सकती है बचपन मेरा,
पर बचपना नहीं..!!
waah…..waah….
Mor ke pankh ki tarah hi bachkna basaa hai dil men,
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😊 thank you Madhusudan
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Wow
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Thank you 😊
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Waaah!
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Dhanyvaad !!!!!
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Welcome!
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😊
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क्या बात !
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आभार राशि .
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स्वागत है
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