यह दुनिया निराली है .
राग -रंग, माया- मिथ्या
के बीच ,
कभी लगता है , सभी अपने है .
चारो ओर मेले ही मेले है .
कभी लगता है –
इस भरी दुनिया में तनहा है .
सब अकेले ही अकेले है .

यह दुनिया निराली है .
राग -रंग, माया- मिथ्या
के बीच ,
कभी लगता है , सभी अपने है .
चारो ओर मेले ही मेले है .
कभी लगता है –
इस भरी दुनिया में तनहा है .
सब अकेले ही अकेले है .


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