खिड़कियाँ

जब पलट कर देखो , यादों की

अनेको खिड़कियाँ खुल जाती है .

जीवन की ना जाने कितनी

झलकियाँ दिखलाती है .

यादों की झलक दिखाती

झलकियों के ये झरोखे

कभी हँसाते – रुलाते – गुदगुदाते- सहलाते है .

और

चाहने पर भी भूल नहीं पाते है .

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