जो हो इक बार वो हर बार हो, ऐसा नहीं होता
हमेशा एक ही से प्यार हो, ऐसा नहीं होता
कहीं कोई तो होगा जिसको अपनी भी ज़रूरत हो
हर इक बाज़ी में दिल की हार हो, ऐसा नहीं होता.
( सधन्यवाद जितेंद्र माथुर जी के कविता संकलन से प्राप्त रचना )

जो हो इक बार वो हर बार हो, ऐसा नहीं होता
हमेशा एक ही से प्यार हो, ऐसा नहीं होता
कहीं कोई तो होगा जिसको अपनी भी ज़रूरत हो
हर इक बाज़ी में दिल की हार हो, ऐसा नहीं होता.
( सधन्यवाद जितेंद्र माथुर जी के कविता संकलन से प्राप्त रचना )

कोई चाहे ना चाहे ,
तुम तो चाहो अपने आप को .
किसी और की नज़र में अपना मोल तौलने से पहले अपना मोल तो समझो .
वरना ज़िंदगी निकल जाएगी मोल-तोल
चाहने ना चाहने की जद्दो जहद में . 
गर्मी की छुट्टी में कही कोई *समर कैंप* नहीं होते थे,
पुरानी चादर से छत के कोने पर ही टेंट बना लेते थे ,
क्या ज़माना था जब ऊंगली से लकीर खींच बंटवारा हो जाता था,
लोटा पानी खेल कर ही घर परिवार की परिभाषा सीख लेते थे।
*मामा , मासी , बुआ, चाचा के बच्चे सब सगे भाई लगते थे, कज़िन क्या बला होती है कुछ पता नही था।*
घर छोटा ही सही पर प्यार से गुजारा हो जाता था.
*कंचे, गोटियों, इमली के चियो से खजाने भरे जाते थे,*
कान की गर्मी से वज़ीर , चोर पकड़ लाते थे,
*सांप सीढ़ी गिरना और संभलना सिखलाता था*,
*कैरम घर की रानी की अहमियत बतलाता था,*
घर छोटा ही सही पर प्यार से गुजारा हो जाता था.
*पुरानी पोलिश की डिब्बी तराजू बन जाती थी ,*
नीम की निंबोली आम बनकर बिकती थी ,
बिना किसी ज़द्दोज़हद के नाप तोल सीख लेते थे ,
साथ साथ छोटों को भी हिसाब -किताब सिखा देते थे ,
*माचिस की डिब्बी से सोफा सेट बनाया जाता था ,*
पुराने बल्ब में मनीप्लान्ट भी सजाया जाता था ,
घर छोटा ही सही पर प्यार से गुजारा हो जाता था.
*कापी के खाली पन्नों से रफ बुक बनाई जाती थी,*
*बची हुई कतरन से गुडिया सजाई जाती थी ,*
*रात में दादी-नानी से भूत की कहानी सुनते थे ,* फिर
*डर भगाने के लिये हनुमान चालीसा पढते थे,*
स्लो मोशन सीन करने की कोशिश करते थे ,
सरकस के जोकर की भी नकल उतारते थे ,
*सीक्रेट कोड ताली और सीटी से बनाया जाता था ,*
घर छोटा ही सही पर प्यार से गुजारा हो जाता था.
कोयल की आवाज निकाल कर उसे चिढ़ाते थे,
घोंसले में अंडे देखने पेड पर चढ जाते थे ,
गरमी की छुट्टी में हम बड़ा मजा करते थे ,
बिना होलिडे होमवर्क के भी काफी कुछ सीख लेते थे ,
शाम को साथ बैठ कर *हमलोग* देखा जाता था ,
घर छोटा ही सही पर प्यार से गुजारा हो जाता था……

Unknown
Raise your words,
not voice.
It is rain that grows flowers
not thunder.
💕Rumi

Do not feel lonely
the entire universe
is inside you.
💕Rumi

वो औरत दौड़ कर रसोई तक,
दूध बिखरने से पहले बचा लेती है,
समेटने के कामयाब मामूली लम्हो में,
बिखरे ख्वाबों का गम भुला देती है,
वक्त रहते रोटी जलने से बचा लेती,
कितनी हसरतों की राख उड़ा देती है,
एक कप टूटने से पहले सम्हालती,
टूटे हौसलों को मर्ज़ी से गिरा देती है,
कपड़ो के दाग छुड़ा लेती सलीके से,
ताज़ा जख्मो के हरे दाग भूला देती है,
कैद करती अरमान भूलने की खातिर,
रसोई के एयर टाइट डब्बो में सज़ा लेती है,
कमजोर लम्हो के अफ़सोस की स्याही,
दिल की दिवार से बेबस मिटा लेती है,
मेज़ कुर्सियों से गर्द साफ करती,
कुछ ख्वाबों पर धूल चढ़ा लेती है,
सबके सांचे में ढालते अपनी जिंदगी,
हुनर बर्तन धोते सिंक में बहा देती है,
कपड़ो की तह में लपेट खामोशी से,
अलमारी में कई शौक दबा देती है,
कुछ अजीज़ चेहरों की आसानी की खातिर,
अपने मकसद आले में रख भुला देती है,
घर भर को उन्मुक्त गगन में उड़ता देखने,
अपने सपनों के पंख काट लेती है,
हाँ !
हर घर में एक और है,
जो बिखरने से पहले सबकुछ सम्हाल लेती है..!!
Unknown 
जब पलट कर देखो , यादों की
अनेको खिड़कियाँ खुल जाती है .
जीवन की ना जाने कितनी
झलकियाँ दिखलाती है .
यादों की झलक दिखाती
झलकियों के ये झरोखे
कभी हँसाते – रुलाते – गुदगुदाते- सहलाते है .
और
चाहने पर भी भूल नहीं पाते है . 