हसरतों को ना पालों

A  beautiful poem by  a blogger buddy, with thanks –

  litartcom

हसरतों को ना पालों ज़िन्दगी मे

ये ज़िन्दगी को मुसीबत बना देते हैं

काटते है ज़िन्दगी जो सुकून से

वो अरमानों के साये में नही जीते हैं।

28 thoughts on “हसरतों को ना पालों

      1. जी नही आपकी कविता पढ़ने का मौका मुजे मिला यह मेरे लिए खुशी की बात है

        Liked by 1 person

Leave a comment