लफ्ज या ख़ामोशी

कभी बातों से बात बिगड़ जाती है..

तब ख़ामोशी रिश्ते संभाल लेती है..!!

लेकिन जब खामोशी

घुटन…. उलझन….गलतफहमी भर दे …

तब भी क्या लफ्जों को मौन रहने दें?

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