जिंदगी के रंग -55

जिंदगी है या बोनसाई ?

मुट्ठी भर माटी में

लहलहाना है,

बढ़ना भी है।

हरे भी रहना है, खङे भी रहना है।

बङी अज़ीब सी है यह जिंदगी।

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