उस रात पूरा चाँद थोड़ा
मेरी ओर झुक आया ..
हँसा …..
बोला …..
अब फिर अमावस का अँधेरा मुझे घेरने लगेगा .
पर मैं हार नहीँ मानता कभी .
जल्दी ही पूरा हो कर
फ़िर आऊँगा …
शब्बा ख़ैर ! ! ! !
उस रात पूरा चाँद थोड़ा
मेरी ओर झुक आया ..
हँसा …..
बोला …..
अब फिर अमावस का अँधेरा मुझे घेरने लगेगा .
पर मैं हार नहीँ मानता कभी .
जल्दी ही पूरा हो कर
फ़िर आऊँगा …
शब्बा ख़ैर ! ! ! !
Wow Rekha and we will surely be waiting for our Chand who is so cute. Lovely poem. Shabhakher.
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Thanks Kamal. 🙂 🙂
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Welcome Rekha
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bahut khub…..
puri taqat lagaakar mujhe haraa do,
main phir aaunga tab tum naa rahoge,
sirf main hi rahunga,
beshak tum phir hamen haraoge,
magar,
jyada mat etraanaa,
kyunki
main phir aaunga tab tum naa rahoge.
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Waah !!!! sundar panktiya Madhusudan.
bahut-bahut aabhaar. 🙂
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Thank you so much 🙂
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आपने बहुत सुंदर संदेश दिया है इस कविता में
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धन्यवाद सविता ! मुझे लगता है प्रकृति के हर रुप में साकारात्मक संदेश छुपा रहता है।
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क्यों डरे जिंदिगी में क्या होगा हर वक़्त क्यों सोचे के बुरा होगा बढ़ते रहे मंजिल के और हम कुछ भी न मिले तो क्या तजुर्बा तो नया होगा
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वाह!!! आपकी कविता ने दिल जीत लिया। बहुत आभार !!!
बस ऐसा ही कुछ चाँद भी संदेश देता है – पुर्णिमा से अमावस की अपनी यात्रा से। जीवन भी ऐसा हीं है – सुख-दुख के आने जाने का क्रम के रुप में।
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बिलकुल सही कहा आप ने
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बहुत धन्यवाद, आप बहुत अच्छी हिंदी लिखते हैं। 🙂
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Hello kaise ho rekha ji??
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mai thik hu Maithili. tum kaisi ho? 🙂
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Mai bhi tik hu aap btao?
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All is well dear 🙂
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आपके विचार किस प्रकार निकल कर आते हैं और शब्दों का स्वरूप प्राप्त कर लेते हैं।
मैं तो सोचता ही रहता हूँ।
सुंदर रचना।
💐💐💐
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इतने खूबसूरत श्ब्दों में प्रशंसा के लिये आभार .
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