चेहरा

चेहरा क्या है?

ईश्वर प्रदत उपहार….

हमारे उम्र अौर विचारों की छाया।

पर ये लफ्ज , ये बोली,

 सच्चाई का  आईना है

27 thoughts on “चेहरा

  1. बहुत अच्छी और बिलकुल सही बात कही है रेखा जी आपने । मुकेश जी का अमर गीत याद दिला दिया आपने : ‘इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल’ ।

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    1. आभार, बिलकुल सही गाना याद दिलाया। 🙂 मैंने पहेली मुवी देखी। बहुत पसंद आई। सुझाव के लिये शुक्रिया।

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      1. आपका भी शुक्रिया जो आपने मुझे ‘पूर्णा’ फ़िल्म देखने और उस पर लिखने के लिए कहा । मुझे प्रसन्नता है कि ‘पहेली’ आपको पसंद आई । कभी संभव हो तो मेरे कहने से ऐसी ही एक और फ़िल्म ‘पायल की झंकार’ (1980) भी देखिए जिसमें कोमल महुवाकर और अलंकार ने प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं । आपको एवं आपके परिजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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      2. यह सुझाव तो परस्पर आदान-प्रदान है। 🙂
        जी जरुर, फ़िल्म ‘पायल की झंकार’ जरुर देख लूँगी। आपको अौर आपके परिवार को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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      1. Yes Mam! Pretty fortunate for me. Just realised I am talking to someone who is good at so many things. With some efforts, I got you over twitter to keep myself stick to reading this blog. 😊😊

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      2. No problem, Rekha! It is somewhere there, just a decent one. Anyways, really happy to meet you! Will try to hear more from you over Twitter. I will poke whenever I can. 😊

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