रेत अौर समंदर

समंदर हँसा रेत पर – देखो हमारी गहराई अौ लहराती लहरें,

तुम ना एक बुँद जल थाम सकते हो, ना किसी काम के हो।

रेत बोला —

यह तो तुम्हारा खारापन बोल रहा है,

वरना तुम्हारे सामने – बाहर  अौर अंदर भी हम हीं  हम हैं

— बस रेत हीं रेत !!!

31 thoughts on “रेत अौर समंदर

    1. बहुत आभार, उम्दा व्याख्या करती पंक्तियाँ।
      समंदर की बातें दर्प अौर अहंकार भरे लोगों पर लागू होती है। जो आत्म प्रशंसा में ङूबे रहते हैं।

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