बंद किताबो के रिश्ते – कविता 

खुले आसमान के नीचे हम  इतनी बँद बँद जिंदगी  क्यों  जीते है ?

ठीक वैसे जैसे कुछ रिश्ते बंद किताबों में होते है. 

अपने आप से खुल कर बाते करो 

दिलो – दिमाग पर छाये तूफान को बस गुजर जाने दो….

28 thoughts on “ बंद किताबो के रिश्ते – कविता 

    1. बहुत आभार. कुछ रिश्ते किताबों में लिखे होते है , सच्चाई से दूर . और कुछ अधूरे रह कर किताबों की कहानियाँ बन जाते ही.

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