राहें -कविता

We are stars wrapped in skin,
The light you are seeking has always been within.
~ Rumi

जिंदगी की राहें  सड़कों की तरह  कभी खत्म नहीं होती है,

मंजिल की दूरी से ङरने से अच्छा है, 

एक -एक कदम उठा कर  चलते जाना।

जब लगे, सारे रास्ते बंद हैं,  शुन्य से भी शुरु करने में भी क्या हर्ज़ है?

सफेद पन्ने पर फिर से जो चाहे लिखने का मौका  मिला है।

बस अपने अंदर की आग को जलते रहने देना है। 

जब किसी बात से हमारे कदम लङखङा जाते हैं, यह कविता  उस वक्त के  लिये है। पर विशष कर

उन बच्चों को समर्पित है, जिन्हों ने परीक्षा में अपने मन लायक सफलता – उपलब्धि नहीं पाई है। 

Image from internet.

50 thoughts on “राहें -कविता

    1. बहुत आभार कुमकुम जी, हमारे यहाँ सफल बच्चों के लिये बहुत कुछ है। पर दूसरों बच्चों का क्या ? सफलता-असफलता तो जिंदगी के हिस्से हैं। यह क्यों नहीं बताया जाता है उन्हें?

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  1. जब लगे, सारे रास्ते बंद हैं,  शुन्य से भी शुरु करने में भी क्या हर्ज़ है?
    प्रेणादायी कविता लिखती है मैम आप मुझसे आप की हर कविता से बहुत लगाव है

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    1. धन्यवाद प्रतिम, हर बच्चे को ईश्वर ने अलग-अलग योग्यता दी है। हम नें उसे मापने का नियम तो बन लिया पर असफलताअों को गलत तरीके से व्यक्त किया है।

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  2. ज़िन्दगी की जंग लड़ते लड़ते हर एक ज़िन्दा टूटता है…

    हिम्मत गर परिंदे की न टूटे तो एकदिन पिंजड़ा टूटता है…

    © इश्क़शर्माप्यारसे✍
    📲9827237387

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      1. मेरे हर रचना मोबाइल की डायरी में सेव है, इसलिये ही आ० रचना वहाँ से कॉपी कर के यहाँ पेस्ट करते समय आ जाता है… क्षमा करें 💐😊

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  3. रास्ते ख़त्म हो जाती है तब,
    जब मंजिल करीब आती है,
    चौराहे पर खड़े राही को भी,
    मंजिल अपने पास बुलाती है,
    कितना फौलादी था वो इंसान,
    जिसने सपनों में देखा एक जहान,
    फिर उठा तो सोया ही नहीं,
    मजबूरियों पर कभी रोया भी नहीं,
    रास्ते बना दी,चट्टानों को तोड़कर,
    सपनों को रखा हकीकत से जोड़कर,
    हार गयी धरती उसके हिम्मत से आसमान,
    पलटकर देखा तो क़दमों में थी,सपनों की जहान,
    आज हमें मंजिल और रास्ते नजर आते हैं,
    फौलादी के औलाद फिर हार क्यों जाते हैं,
    कायरता देख कर मंजिल परेशान हैं,
    आलस्य को देख देख राहें भी हैरान है,
    हिम्मत की गाथा मेरी रामसेतु गाता है,

    Bahut sundar likha apne… Aapki kavita padhkar aaj maine bhi ek prayaas kiya likhne ka….

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      1. कोई बात नहीं, ऐसा मुझ से भी हो जाता है। विशेष कर मोबाईल से जवाब देते समय।

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    1. धन्यवाद रजनी. मुझे लगता है बच्चे परीक्षा के दबाव से नाकारात्मक दबाव ना महसूस करे.

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